आप सभी भक्तों का साईं भजनामृत वेबसाइट में हार्दिक स्वागत है। ये एक छोटा सा प्रयास है, आप सभी तक साईं भजनो को हिंदी में उपलब्ध कराने का। मैं आशा करता हूँ की आप सभी इस प्रयास से लाभान्वित होंगे। यदि कही भी आपको इस वेबसाइट में दिए गए भजनो में गलती नज़र आए तो कृपया कमेंट सेक्शन में जाकर ज़रूर लिखे, उसमें सुधार किया जाएगा।
भगवान बाबा द्वारा भजन पर, किताब "माई डिअर स्टूडेंट्स", संस्करण 1, पाठ शीर्षक: Naamsmarana: The Boat to cross Samsaara, 18 जून, 1989 को सीनियर बायज़ हॉस्टल, प्रशांति निलयम में दिया गया दिव्योद्बोधन :
यदि कोई व्यक्ति सड़क से भटक जाए, तो उसके शरीर को हानि होने का खतरा रहता है। उसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति अपने नैतिक मूल्यों से भटक जाए तब वह अपने मनुष्य होने की पवित्रता खो देता है। हमें कभी भी अपनी मानवीय पवित्रता को खोने के चरण तक नहीं पहुंचना चाहिए। भजनो के समय कुछ लोग अपने मन में ही भजन गाते हैं और अपने शरीर को भजनो की लय में हिलाते हैं। ये सही नहीं है। यदि कोई व्यक्ति कुँए में गिरने के बाद ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगाने की जगह धीरे धीरे मदद के लिए पुकारेगा, तो उसकी मदद के लिए कोई नहीं आएगा। उसके विपरीत, यदि वह ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगाएगा, "मुझे बचाओ! मैं कुँए में गिर गया हूँ", तब लोग उसे बचाने के लिए आएंगे। इसी प्रकार आप को भी ज़ोर से गाना पड़ेगा। यह 'सम्यक कीर्तन' का महत्व है , और वही "संकीर्तन" है।
भजन के वक्त आप जितनी ज़ोर से गा सकते हैं, गाइए। आप को ये आवाज़ किस लिए दी गयी है ? बेकार की बातें करने के लिए ? नहीं। स्वतंत्र रूप से भगवान का गुणगान करने के लिए आपको ये आवाज़ दी गयी है। आपको इसमें किसी प्रकार का संकोच नहीं होना चाहिए। हमारे मित्र (एक भजन गायक की तरफ इशारा करते हुए), भजनो के समय सिर्फ हम् हम् करते रहते हैं ! उनका एक भी शब्द समझ नहीं आता। शब्दों को सही ढंग से बोलना ज़रूरी है। एक और बात का ध्यान रखें-- जब भी हम गाते हैं तो हम केवल अपने लिए नहीं गाते। हज़ारो लोग उसको सुन रहे होते हैं, इसलिए हमको भजन ऐसे गाना चाहिए जिससे उनके दिलों में भगवान के प्रति प्रेम भर जाए। भजन गाते वक्त आपको भी आनंद आना चाहिए तथा दूसरो को भी।
क्या कभी आपने सड़क किनारे लगी लाइट को देखा है ? उसमें पोल के ऊपर एक बल्ब लगा होता है। वो बल्ब दूसरो को रौशनी प्रदान करता है। परन्तु उसी समय, वह स्वयं को भी प्रदर्शित कर रहा होता है। इसी प्रकार, आपके भजन भी, आपको और दूसरो को संतुष्टि देने वाले होने चाहिए। पीछे से गाने वाले उतना महत्व नहीं रखते, जितना प्रमुख भजन गायक रखता है। भजन गाने से पहले उसका अभ्यास करना ज़रूरी है। याद रहे की भजन में हज़ारो लोग आते हैं। आपका सुर, लय, राग और ताल सही होना चाहिए। अपने देश का नाम भी यहीं से लिया गया है। हमारे देश का क्या नाम है? मैं आपको बताता हूँ! भारत शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है - 'भा', 'र' , 'त' - भाव, राग और ताल और ये तीनो मिलकर "भारत", हमारे देश का निर्माण करते हैं। आपको यह बात याद रखनी चाहिए।
प्रेम स्वरूपों! आप सभी को भजन के दौरान ज़ोर ज़ोर से भजन गाना चाहिए। सामुदायिक भजन एक संपूर्ण चीज़ है। गुरु नानक जी ने सबसे पहले इसको आगे बढ़ाया था। यदि कोई भी व्यक्ति अपनी ही धुन में भजन गाये तो इससे कोई लाभ नहीं है, सभी को साथ लेकर भजन गाना ज़रूरी है। सभी को एकसाथ ताली बजाना भी ज़रूरी है। सभी के हृदय एक हो जाने चाहिए। यदि सब एक होकर भजन गाएँगे, तब सभी को कितना आनंद आएगा! ये कानो को कितना सुकून देगा! यदि सब अपने में ही गाएंगे तो वो किसी शोर से कम नहीं लगेगा। भजनो का उद्देश्य कानो को सुकून देना है। हम सभी को भजनो के माध्यम से दिव्यता को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। हम जो भी सोचते हैं, वही बन जाते हैं। तो अपने दिल को भजनो में लगाओ और प्रेम से भगवान का गुणगान करो।
This effort is appreciable.If possible, please include a section for Hanuman bhajans.
ReplyDelete